
लेख को आरम्भ करने से पहले आप सभी पाठकों से एक प्रश्न कि ऊपर दिए हुए चित्र में से आप किस-किस क्रांतिकारी को जानते हैं ? मुझे पता है कि आप इनमे से लगभग 3-4 क्रांतिकारियों को ही जानते होंगे क्योंकि इन्हें भारत के इतिहास में राजनैतिक दुराग्रह के कारण स्थान नहीं मिला l आपको शिक्षा व्यवस्था में जो मिला आपने उतना ही लिया l आपको जो मिला वह आपको जानबूझ कर दिया गया कि आपको भारत कि स्वतंत्रता के लिए हुए बलिदानों का मूल्य ज्ञात न हो और आपको लगे कि केवल चरखा चलाने से भारत स्वतंत्र हो गया l
भारत माता की स्वाधीनता और भारतवासियों के सम्मान के लिए जो बलिदानी हँसते हँसते फांसी पर चढ़ गए थे हम भारतवासी उन बलिदानियों के नाम तक नहीं जानते l इस धरा पर एक बुद्धि ही है जो मनुष्य को पशुओं से अलग करती है यह बुद्धि ही हमारे मन में दया, उपकार, परोपकार और सोचने समझने की प्रेरणा देती है किन्तु क्या हम सभी मनुष्य होकर भी उस कठपुतली की तरह हो गए हैं जिसकी डोर किसी ओर के हाथों में हो l यदि स्वतंत्र भारत में भी हम सत्य से अभिनिज्ञ एक पढ़े-पढ़ाए पाठ को तोते कि तरह दोहरा रहे हैं तो यह बुद्धि और यह स्वतंत्रता किस काम की ? एक प्रकार से इसे मानसिक गुलामी भी कहा जा सकता है l
हलख